सहजयोग को समझने से पहले हमें योग का अर्थ समझना होगा। यदि आप हिंदी माध्यम के छात्र रहे हैं, तो आपने गणित में सीखा होगा कि दो अंकों के योग का अर्थ होता है – उन्हें जोड़ना। इसी प्रकार, आध्यात्मिक संदर्भ में योग का अर्थ भी ‘जुड़ना’ है। जब आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है, या उस मिलन की अनुभूति होने लगती है, तो उसे योग कहा जाता है। जैसे-जैसे यह अनुभूति गहरी होती जाती है, व्यक्ति योग की अवस्था में प्रवेश करता है। इसलिए, योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह परम तत्व से जुड़ने की प्रक्रिया है।
योग के विभिन्न प्रकार
योग के कई प्रकार हैं, जो विभिन्न व्यक्तियों के अनुरूप बनाए गए हैं। इतिहास पर नज़र डालें, तो योग की परंपरा वज्रयान से प्राप्त हुई, जिसने हमें तांत्रिक प्रथाएँ दीं। जब ऋषियों ने देखा कि लोगों में आध्यात्मिक बोध कम है, तो उन्होंने परमात्मा से जुड़ने के लिए क्रिया योग को विकसित किया। क्रिया योग का अर्थ है किसी विशेष क्रिया के माध्यम से ध्यान एवं साधना करना।
वहीं, सहजयोग की उत्पत्ति ताओ से मानी जाती है। यह एक ऐसा योग है, जिसमें किसी भी विशेष क्रिया की आवश्यकता नहीं होती। क्रिया योग में जहाँ ध्यान से पहले विशेष शुद्धिकरण प्रक्रियाएँ अपनाई जाती हैं, वहीं सहजयोग में कोई पूर्व तैयारी आवश्यक नहीं होती।
सहजयोग का सार
सहजयोग में व्यक्ति अपने विचारों एवं भावनाओं को परमात्मा के समक्ष पूर्णतः समर्पित कर देता है। वह अपनी मूल प्रवृत्तियों के अनुसार जीवन जीता है और सभी इच्छाओं का परित्याग कर देता है। इस स्थिति में व्यक्ति अत्यंत सरल और सहज बन जाता है।
जब कोई व्यक्ति सहजयोग को अपनाता है, तो वह अपने कार्यों को सहजता से करता है। वह अपने शरीर की स्वाभाविक आवश्यकताओं के अनुरूप जीवन जीता है और संसारिक गतिविधियों से अप्रभावित रहता है।
जागरूकता और ध्यान
सहजयोग अपनाने के बाद मनुष्य पूर्ण जागरूकता को प्राप्त करता है। वह गहरे ध्यान में प्रवेश करता है और आत्मज्ञान की अवस्था को प्राप्त करता है। सहजयोग के माध्यम से मनुष्य एक सरल, सहज और दिव्य जीवन जी सकता है।
निष्कर्ष
सहजयोग एक ऐसा मार्ग है, जो हमें परमात्मा से जोड़ता है और आत्मज्ञान की ओर अग्रसर करता है। यह किसी भी जटिल प्रक्रिया पर निर्भर नहीं करता, बल्कि सहजता और समर्पण के माध्यम से परमात्मा की अनुभूति कराता है। इस योग को अपनाने से व्यक्ति अपने विचारों को शांत कर सकता है, अपने भीतर की ऊर्जा को संतुलित कर सकता है और एक आनंदमय जीवन जी सकता है।
Thanks Bhaiya. Bahut achhe se samjhaya hai. Koi bhi aadmi ese padk aasani se samajh sakta hai ki dhyan aur Sahajyog kya hai.
Sahaj yog hai to bahut hi aasan pr kuch der aalthi palthi mar kar betna lagta hai bahut hi aasaan hai pr hai nahi log bet hi nahi pate hai pr agar ichcha shuddha hai to sab apne aap hote jata hai