ध्यान का अर्थ है Focus अक्सर लोग कहते हैं कि वे एक जगह बैठकर अपने इष्ट का ध्यान कर रहे हैं, लेकिन जरा सोचिए, क्या आप सच में अपने मन में एक मूर्ति को लंबे समय तक देख सकते हैं? हकीकत यह है कि हमारे मन में लगातार कई विचार चलते रहते हैं, जिससे ध्यान भटक जाता है। तो फिर, इस स्थिति में ध्यान कैसे संभव है?
ध्यान करने के लिए क्रिया में होना बहुत आवश्यक है। यदि आप निष्क्रिय होकर ध्यान में बैठते हैं, तो आपका मन भटक जाएगा और ध्यान करना कठिन हो जाएगा।
ध्यान: हर क्षण की जागरूकता
जब भी हम कहीं जाते हैं, तो अक्सर हमें कहा जाता है – “ध्यान से जाना” या “ध्यान से कार्य करना”। इसका सीधा तात्पर्य यही है कि जो भी कार्य आप कर रहे हैं, उसे पूरी एकाग्रता और समर्पण के साथ करें। यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे सिर्फ एक-दो घंटे के लिए किया जाए, बल्कि ध्यान एक ऐसी अवस्था है, जिसमें 24 घंटे बने रहना पड़ता है।
एकाग्रता का जादू
अगर आप किसी प्रसिद्ध चित्रकार को देखेंगे, तो पाएंगे कि जब वह पेंटिंग बनाता है, तो आठ-दस घंटे तक उसमें पूरी तरह डूबा रहता है। वह इतनी गहराई से पेंटिंग की बारीकियों पर काम करता है कि उसकी नक्काशियों में गजब की सुंदरता झलकती है। यही पूर्ण ध्यान का प्रभाव होता है। इसी तरह, किसी भी कलाकार को देखें, चाहे वह गायक हो, नर्तक हो, या कोई और- जब वे अपने कार्य में पूरी तरह डूब जाते हैं, तभी उनकी कला में निखार आता है और लोग उन्हें पसंद करते हैं।
ध्यान: आध्यात्मिकता और जीवन का मूल तत्व
ध्यान कोई आध्यात्मिक क्रिया मात्र नहीं है, लेकिन आध्यात्मिक रूप से आगे बढ़ने के लिए ध्यान अनिवार्य है। ध्यान का सबसे सरल तरीका है कि आप जो भी करें, उसे पूरी तरह फोकस के साथ करें और मल्टी-टास्किंग से बचें। जिस कार्य को आप कर रहे हैं, उसमें पूरी तरह समर्पित हो जाएं और हर एक चरण को जागरूकता के साथ करें।
याद रखें, ध्यान का अर्थ है Focus और इस फोकस को प्राप्त करने के लिए, आपको मेडिटेशन का अभ्यास करना होगा। जब आप ध्यानमग्न होंगे, तभी वास्तविक ध्यान की अवस्था को प्राप्त कर पाएंगे।
निष्कर्ष
ध्यान का अर्थ केवल किसी एक स्थान पर बैठकर आँखें बंद करना नहीं है, बल्कि यह हर कार्य में संपूर्ण एकाग्रता और तल्लीनता के साथ डूब जाने की प्रक्रिया है। यह जीवन जीने की एक शैली है, जिसमें व्यक्ति अपने हर कार्य को पूरे फोकस और समर्पण के साथ करता है। ध्यान कोई आध्यात्मिक क्रिया मात्र नहीं है, बल्कि यह मानसिक स्पष्टता, आत्म-जागरूकता और कार्य में उत्कृष्टता लाने का माध्यम भी है। जब हम किसी भी कार्य में बिना विचलित हुए डूब जाते हैं, तब सच्चे ध्यान की अवस्था प्राप्त होती है। ध्यान को जीवन में अपनाने से व्यक्ति अधिक शांत, संतुलित और सफल बन सकता है।
Dhyan vo prakriya hai jisme hame har us kaam ko jo ham karte hai usme apna pura focus rakhna hai arthat us kaam purna rup se dub jana hai dhyan har kaam me hona chahiye ki ham kya kar rahe hai jab ye focus aane lagta hai hai tab adbhut aanand ki prapti hoti hai
Dhyan ko tabhi samjha ja sakta hai jab sadhna shuru ho jab kundali ke madhyam se sharir sadhta hai tabi dhyan ghatit hota hai ise sikhaya hi nahi ja sakta hai ise sikha jata hai